नवीनतम प्रस्ताव से अवगत दो सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि भारत स्वच्छ प्रौद्योगिकी वाहनों के विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए संशोधित योजना के तहत पांच साल की अवधि में ऑटो कंपनियों को लगभग 3.5 बिलियन डॉलर (लगभग 25,735 करोड़ रुपये) का प्रोत्साहन देगा।
सरकार की मूल योजना मुख्य रूप से गैसोलीन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए वाहन निर्माताओं और पार्ट निर्माताओं को लगभग 8 बिलियन डॉलर (लगभग 58,830 करोड़ रुपये) देने की थी, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए अतिरिक्त लाभ शामिल थे।
रॉयटर्स ने शुक्रवार को बताया कि इस योजना को पुनः तैयार किया गया है ताकि उन कंपनियों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके जो इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले वाहन बनाती हैं।
यह तत्काल स्पष्ट नहीं हो पाया कि आवंटन में संशोधन क्यों किया गया, लेकिन एक सूत्र ने कहा कि चूंकि अब फोकस स्वच्छ और उन्नत प्रौद्योगिकी पर केंद्रित हो गया है, इसलिए प्रोत्साहन के लिए कम कंपनियां ही पात्र होंगी।
भारत अपनी तेल निर्भरता को कम करने तथा अपने प्रमुख शहरों में प्रदूषण को कम करने के लिए स्वच्छ ऑटो प्रौद्योगिकी को अपनी रणनीति के केंद्र में मानता है, साथ ही पेरिस जलवायु समझौते के तहत उत्सर्जन संबंधी अपनी प्रतिबद्धता को भी पूरा करना चाहता है।
घरेलू वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स भारत में इलेक्ट्रिक कारों की सबसे बड़ी विक्रेता है, जबकि प्रतिद्वंद्वी महिंद्रा एंड महिंद्रा और मोटर-बाइक कंपनियां टीवीएस मोटर और हीरो अपनी ईवी योजनाओं को मजबूत कर रही हैं।
भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के चेयरमैन ने पिछले महीने कहा था कि कंपनी के पास इलेक्ट्रिक वाहन लांच करने की कोई निकट भविष्य की योजना नहीं है, क्योंकि उसे इनकी मात्रा या उपभोक्ताओं के लिए सामर्थ्य नहीं दिखता।
मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि पांच वर्ष की अवधि के लिए प्रारंभिक आवंटन कम कर दिया गया है, लेकिन यदि योजना सफल होती है, प्रारंभिक धनराशि खर्च हो जाती है, तथा कुछ शर्तें पूरी हो जाती हैं, तो 8 अरब डॉलर (लगभग 58,830 करोड़ रुपये) तक की धनराशि उपलब्ध कराई जा सकती है।
अधिकारी ने उन शर्तों को स्पष्ट नहीं किया, तथा भारत के उद्योग एवं वित्त मंत्रालयों ने टिप्पणी हेतु भेजे गए ईमेल का तत्काल जवाब नहीं दिया।
दोनों सूत्रों ने बताया कि इस योजना का विवरण, जो वैश्विक निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए भारत के 27 अरब डॉलर (लगभग 1,98,605 करोड़ रुपये) के व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा है, अगले सप्ताह की शुरुआत में सार्वजनिक किया जा सकता है।
एक सूत्र ने बताया कि संशोधित योजना के तहत, योग्य कंपनियों को ईवी और हाइड्रोजन ईंधन सेल कारों के लिए उनके टर्नओवर के लगभग 10 प्रतिशत – 20 प्रतिशत के बराबर कैशबैक भुगतान मिलेगा।
भुगतान के लिए पात्र होने हेतु कार निर्माताओं को पांच वर्षों में न्यूनतम 272 मिलियन डॉलर (लगभग 2,000 करोड़ रुपये) का निवेश करना होगा।
ऑटो पार्ट्स निर्माताओं को स्वच्छ कारों के लिए घटकों का उत्पादन करने तथा सुरक्षा संबंधी भागों और कनेक्टेड वाहनों में प्रयुक्त सेंसर और रडार जैसी अन्य उन्नत प्रौद्योगिकियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
© थॉमसन रॉयटर्स 2021