नई दिल्ली: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 'भारतीय रेलवे में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन' का ऑडिट करते समय उसने क्षेत्रीय रेलवे के नमूना जांचे गए अस्पतालों में मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी देखी। कैग ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा, “आईपीएचएस (भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक) मानदंडों के संदर्भ में मशीनों/चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता में भी कमी थी। यहां तक कि नैदानिक स्थापना (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम 2010 के अनुसार मशीनों/चिकित्सा उपकरणों की न्यूनतम आवश्यकता भी पूरी नहीं की जा रही थी।”
कैग के अनुसार, भारतीय रेलवे (आईआर) 129 अस्पतालों और 586 स्वास्थ्य इकाइयों के माध्यम से लगभग एक करोड़ रेलवे लाभार्थियों को चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है और “भारतीय रेलवे में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन” पर समीक्षा में 2017-18 से 2021-22 की अवधि के दौरान इसके द्वारा प्रदान की गई स्वास्थ्य सेवाओं की पर्याप्तता और गुणवत्ता का आकलन करने के मुद्दों को शामिल किया गया है।
सीएजी ने कहा, “ऑडिट में संसाधनों और उनके उपयोग, आवश्यक बुनियादी ढांचे की उपलब्धता, कोविड महामारी के दौरान संसाधनों के प्रबंधन, दवाओं/उपकरणों की खरीद आदि के संबंध में भारतीय रेलवे द्वारा तैयार की गई विभिन्न नीतियों और दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन की जांच की गई।”
इसमें कहा गया है, “लेखापरीक्षा में पाया गया कि भारतीय रेलवे के कुल व्यय में स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यय की हिस्सेदारी में वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई थी, लेकिन 2021-22 में इसमें भारी गिरावट आई। कई ऐसे मामले सामने आए, जब मरीज चिकित्सकीय सलाह के बिना अस्पताल छोड़कर चले गए।”
सीएजी ने पाया कि भारतीय रेलवे ने मरीजों को गैर-रेलवे मान्यता प्राप्त अस्पतालों में रेफर करने पर भारी व्यय किया तथा 7,38,297 (98.72 प्रतिशत) मामलों में रेफर किये गये मामलों का मेडिकल ऑडिट नहीं किया गया।
इसमें कहा गया है कि व्यय में वृद्धि की प्रवृत्ति दिख रही है।
कैग ने कहा, “आयुष्मान भारत योजना के पात्र लाभार्थियों को कई रेलवे अस्पतालों में चिकित्सा उपचार उपलब्ध नहीं कराया गया। अस्पताल सेवाओं की उत्पादकता का सूचक, बिस्तर अधिभोग अनुपात (बीओआर) कई अस्पतालों में मानक मानदंडों से कम पाया गया।”
इसमें कहा गया है, “चिकित्सा ऑडिट, गुणवत्तापूर्ण दवाओं की खरीद, समय पर परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होना और अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और आंतरिक नियंत्रण तंत्र को मजबूत करने की गुंजाइश है।”
आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान करने के लिए आईपीएचएस मानदंडों और क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम, 2010 के अनुसार धन और अन्य संसाधनों जैसे चिकित्सा और अर्ध चिकित्सा स्टाफ, मशीनों/उपकरणों आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करने की सिफारिश करते हुए, इसने रेलवे से अस्पतालों की संसाधनों और बुनियादी ढांचे की जरूरतों का आकलन करने के लिए समय-समय पर समीक्षा करने को कहा।
कैग ने कहा, “निर्धारित मानकों और मौजूदा सेवा वितरण के बीच अंतर की समीक्षा की जानी चाहिए और इस अंतर को दूर करने के प्रयास किए जाने चाहिए। यह रेलवे कर्मचारियों और रेलवे चिकित्सा सुविधाओं पर निर्भर परिवारों के अनुरूप होना चाहिए।”